देव दीपावली 2025: काशी का अद्भुत प्रकाश महोत्सव, Dev Diwali 2025
भारत की संस्कृति और परंपराओं में त्यौहारों का विशेष स्थान है। दीपों का पर्व दीपावली तो हर घर-आँगन में मनाया जाता है, लेकिन देव दीपावली एक ऐसा महोत्सव है जिसे काशी की धरती पर विशेष महत्व प्राप्त है। इस दिन गंगा तट पर लाखों दीप प्रज्वलित होते हैं और पूरा वाराणसी एक दिव्य लोक की तरह जगमगाने लगता है। इसे "देवताओं की दीपावली" भी कहा जाता है।
साल 2025 में देव दीपावली का पर्व 6 नवंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा।
देव दीपावली 2025 की तिथि और महत्व- Dev Diwali 2025 Date
देव दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वर्ग से उतरकर गंगा घाटों पर दीप जलाते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। इसी कारण इसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है।
2025 में देव दीपावली का शुभ समय, Dev Diwali Kab Hai
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तिथि: 6 नवंबर 2025, गुरुवार
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पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 नवंबर, प्रातः 09:17 बजे
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पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 नवंबर, प्रातः 07:02 बजे
इस पावन अवसर पर गंगा स्नान, दीपदान और शिव पूजा का अत्यधिक महत्व होता है।
देव दीपावली की पौराणिक कथा Dev Diwali Varanashi
पुराणों के अनुसार त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने तीन पुरियों में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था और देवताओं को कष्ट देने लगा। तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई। उसी दिन से देवताओं ने प्रसन्न होकर गंगा तट पर दीप जलाए और भगवान शिव का आभार व्यक्त किया। तभी से इस दिन को "देव दीपावली" के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है।
काशी में देव दीपावली 2025 का विशेष महत्व Dev Diwali Importance
वाराणसी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। यहाँ गंगा के 84 घाटों पर हर साल देव दीपावली का भव्य आयोजन होता है। 2025 में भी काशी में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इस दिव्य नजारे के साक्षी बनेंगे।
प्रमुख आकर्षण
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गंगा घाट पर दीपदान: गंगा किनारे हजारों दीये एक साथ जलाए जाते हैं।
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गंगा आरती: अस्सी घाट और दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा आरती का आयोजन होता है।
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सांस्कृतिक कार्यक्रम: नृत्य, संगीत और आध्यात्मिक प्रस्तुतियों से वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
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नौका विहार: गंगा में नाव से देव दीपावली का दृश्य देखना अविस्मरणीय अनुभव होता है।
देव दीपावली 2025 पर क्या करें
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प्रातःकाल गंगा स्नान करें।
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भगवान शिव, विष्णु और गंगा मैया की पूजा करें।
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संध्या के समय दीप जलाकर गंगा किनारे प्रवाहित करें।
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दान-पुण्य करें, क्योंकि इस दिन का दान अक्षय फलदायी माना जाता है।
देव दीपावली 2025 पर व्रत और पूजा विधि
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सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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घर में दीपक जलाएं और भगवान शिव की आराधना करें।
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गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करें।
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संध्या समय गंगा तट पर दीपदान करें।
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"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
देव दीपावली और पर्यटन
देव दीपावली केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी बेहद खास है। हर साल लाखों लोग इस अवसर पर काशी पहुँचते हैं। विदेशी पर्यटक भी इस महोत्सव का आनंद लेने आते हैं। 2025 में पर्यटन विभाग विशेष क्रूज़ और कार्यक्रम आयोजित करेगा जिससे श्रद्धालु घाटों का दृश्य और बेहतर ढंग से देख सकेंगे।
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देव दीपावली पूजा विधि
निष्कर्ष
देव दीपावली 2025 का पर्व 6 नवंबर को पूरे देश में विशेष रूप से काशी में मनाया जाएगा। इस दिन गंगा के घाटों पर दीपों की अनगिनत कतारें जगमगाती हैं, जो अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं। आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का यह संगम हर किसी के लिए जीवन में एक बार अनुभव करने योग्य है।
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